AIM

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  1. सहकारिता आन्दोलन को जन-जन तक पहॅंुचाना।
  2. कृषकों को कम ब्याज दरों पर सुलभ कृषि ऋण उपलब्ध कराना।
  3. कृषि निवेशों की समय में आपूर्ति।
  4. कृषकों को उनकी उपज का यथोचित मूल्य दिलवाना।
  5. सहकारी समितियों द्वारा सदस्यों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अकृषक ऋण जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक दायित्वों की पूर्ति हेतु ऋण उपलब्ध कराना।
  6. कृषकों को साहूकारों से मुक्त कराना।
  7. सहकारिता के माध्यम से स्वरोजगार का सृजन।
  8. सहकारी संस्थाओं के माध्यम से शासन की जनहितकारी नीतियों को कार्यान्वित कराया जाना।
  9. दूरस्थ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता वस्तुओं को उचित दर पर उपलब्ध कराया जाना।
  10. सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कृषि उपजों की खरीद तथा विपणन।
  11. सहकारिता में श्रम समितियों को 2.00 लाख रू0 तक बिना निविदा के कार्य आबंटित कर  रोजगार सृजन कराना।
  12. सहकारिता का स्वायत्तीकरण 1042 स्वायत्त सहकारिताओ का गठन।
  13. प्रारम्भिक समितियों में 1011 मिनी बैंकों/मिनी  बैंक विस्तार पटल की स्थापना कर जनता के द्वार बैंक।
  14. समस्त जनपदो में जिला सहकारी बैंको की स्थापना।
  15. सहकारी समितियो को स्वाश्रयी बनाना।
  16. पैक्स को बहुउद्देशीय समिति के रुप चरणबद्व रुप से परिवर्तित करना।
  17. पर्यटन एवं ग्रामीण समितियो को प्रोत्साहन।